Sunday, June 12, 2011

monsoon , मौसम



मौसम

एक बूँद गिरी मेरे बदन पर. तो लगा शायद बिल्डिंग के नीचे खड़ा हू तो किसी ने पानी डाला होगा. या फिर पेड़ पोधो को डालने वाला पानी गिरा होगा. पर उपर देख ही लेना चाहिए कुछ भरोसा नही है लोगो का कभी कभी मूह से भी पिचकारी उड़ाते है. पर नही वाहा कोई नही था थोड़ा आगे गया तो फिर से कुछ बूँद गिरी.  हा ये और कुछ नही बारिश की बूँदे थी.....मौसम बदल रहा है . तपती गर्मी से छुटकारा दिलाने आगाई है वर्षा रानी.
बादलो ने जैसे अपनी जगा बना ली और पहाड़ो से कहे दिया, दोस्त हम आगाय है प्यार का संदेशा लेकर धरती के लिए. "रिम जिम रिम जिम बारिश शुरू होगई माने या न माने मेरी तू हो गई ". ये एक एसा रोमॅंटिक मौसम है जो दिलो के साथ जिस्मो को भी प्यार से भिगो देता है. हम ना चाहते हुवे भी प्यार मैं गिर ने के लिए मजबूर हो जाते है. हर कोई अछा लगने लगता है. कुछ भीगे कुछ मचले हुवे अरमान बाहर आते है. और जब किसी अपने के साथ एक ही छत के नीचे कुछ देर खड़ा रहेना पड़े तो फिर क्या बात है.....
कुछ याद आया पहेली बारिश और वो समा. भीगे हम- भीगे तुम और ये भीगा रास्ता. कुछ पानी के सर्कल बन जाते है रास्ते पर जिसमे देखो तो वो दर्पण की तरह अपना चहेरा दिखाते है. कभी उस्मै अपने पाटनर को देख ईशारा किया है? करना... मज़ा आएगा..मन की बात धरती के आँचल से उनके आँचल से ढके दिल तक कुछ इस कदर पहोचेगी की शायद मीठी सी एक कॉर्नर वाली हसी मिलजाये. बस फिर क्या दिन बन जाए. पानी की बूंदे तो उनके जिस्मा को छू ही रही थी
अब तुम भी उनके दिल को छू लो तो बात संभल जाए. छोटी छोटी खुशिया ढूंड लेना जिंदगी है. वो ठंडी से कापना. उसमे एक ही बार अगर उनका स्पर्श हो गया तो फिर 240 का करंट लगना तो गेर्रेँटेड है. बारिश ने अगर साथ दिया तो ज़रा ज़ोर से गिरे, बस फिर एक ही शेड मैं किसी दुकान मैं साथ मैं खड़ा रहेने का मज़ा ही कुछ और है. बस फिर भीड़ बढ़ती जाए और आपकी दूरिया क़म होती जाए. एक चुस्की चाई की हो और एक ही प्लॅट मैं खाने वाले पकोडे 5 ही हो तो मज़ा आजए. 
वो 2 खाए, हम 2 खाए और अंजाने मैं 5 वे के लिए साथ मैं ही हाथो का स्पर्श फिर से होज़ाये. "उउइई मा"  तुम खा लो कहेके , दो नो का फिर से पकोड़ा रहे जाए. कोई बात नही आधा आधा खाने मैं मज़ा ही कुछ और है. sharing is the best destiny to wins others heart. ohh what a art ........
ना जाने ये आधा पकोड़ा तुम्हारी बाकी बची आधी जिंदगी को शेर करनेके लिए कोई हमसफर दे दे. बारिश मैं अक्सर लोग रोमॅंटिक हो जाते है, लड़किया हो या लड़के हर एक का देखने का नज़रिया बदल जाता है. रिम जिम बरसात मैं साथ मैं चलते चलते थोड़ा सा पानी भी उड़ा लेना चाहिए . भले बारिश का पानी तो जिस्म पे गिरता हो पर ये कुछ खास बूंदे , जो उनके हाथो को छू कर आई है उस मैं मज़ा ही कुछ और है. पब्लिक मैं प्यारी सी पप्पी तो नही दे सकते , तो आपके गालो
तक हुमारी और से ये पानी ही सही. बस छू ले तो लगे हमने आपको छू लिया. और फिर एक छोटी सी आँखो के इशारे के बाद मिलने वाली उनकी एक कॉर्नर वाली हसी........

ये लड़की या आधी हसी क्यू देती है पता नही? शायद हसी तो फसि का फ़ॉर्मूला याद है तो पूरी स्माइल देना नामुमकिन होजता होगा. खेर हम को तो महेंनत करते रहेनी है. बालो से टपकती हुवी बूँदे , कुछ गीले कुछ सुके हुवे कपड़े और बातो बातो मैं मंज़िल का ख़तम हो जाना. कितना जल्द मौसम भागता हे . यहा से अलग होना
है, तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते. टाटा कहेने का वो वक़्त थम ता ही नही. किसी को आँखो मैं बसा ना है पर ये बूँदे हर दम आँखे बंद करवा देती है. हाथ मिला ये तो कैसे ? अभी अभी शोक से उभर कर होश मैं आए है. फिर भी जब तक वो अपनी आँखो के सामने से दूर ना जा चुके तब तक "बाई" कहेते  रहेना अच्छा4 लगता है. फिर उनकी यादो मे खो जाना.
 वही जाना पहेचना सा रास्ता और वही 1 घंटे की स्टरगल फिर भी उस दिन पता ही नही चलता कब घर पहुच गये . ये मौसम अजीब है .........सबकुछ भुला देता है....

happy monsoon

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