मौसम

एक बूँद गिरी मेरे बदन पर. तो लगा शायद बिल्डिंग के नीचे खड़ा हू तो किसी ने पानी डाला होगा. या फिर पेड़ पोधो को डालने वाला पानी गिरा होगा. पर उपर देख ही लेना चाहिए कुछ भरोसा नही है लोगो का कभी कभी मूह से भी पिचकारी उड़ाते है.

Friday, December 9, 2011

मंजिल destination

मंजिल हा हम सबको एक मंजिल की तलाश होती है हर वक़्त , जो हमारे लिए बनी है. जो हम ने निर्धारित की है अपने लिए. एक दिन उस मुकाम पर पहुचना है जहा से हमे अपने आप को देख ने मैं दिलचस्पी हो . लोग कहे "वाह , ये हुवी न बात ". अपने नक़्शे कदम पर चलने वाले भी हो. हम भी किसी के लिए रोल-मोडल बने. चलते चलते हम कहा तक आगये आज हमे पता भी नहीं . क्या सोचा था...

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