मौसम

एक बूँद गिरी मेरे बदन पर. तो लगा शायद बिल्डिंग के नीचे खड़ा हू तो किसी ने पानी डाला होगा. या फिर पेड़ पोधो को डालने वाला पानी गिरा होगा. पर उपर देख ही लेना चाहिए कुछ भरोसा नही है लोगो का कभी कभी मूह से भी पिचकारी उड़ाते है.

Sunday, September 12, 2010

बारिश..........

रिम ज़िम रिम ज़िम कुछ बूंदे गिरी मेरे तन पर एहेसास हुवा किसी ने चुपके से  छू लिया......आसमान की और देखा गौर से तो कुछ बूँदो ने गालो को भी चूम लिया|  ....ये मिट्टी की खुश्बू जहेन मैं एसे उतर गई जैसे बरसो से तरस रही थी मिलने को. कभी दोनो हाथ फैला के आस्मा से बाते करते बारिश का मज़ा लिया है? ले लेना .चिप चिप कपड़ो मैं भी जीने का अलग मज़ा है| किसी को देखना और किसी की नज़रो का शिकार भी होने मैं एक अलग मज़ा है...सारा मौसम रोमॅंटिक लगता है| गरमा गरम वो भजी की खुश्बू , गीले गीले से बदन मैं जाती...

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