Friday, October 1, 2010

जिलो जिंदगी

जिलो जिंदगी
जिंदगी बड़ी अजीब कीसम की होती है , कभी हार तो कभी जीत होती है | जिस पहेलू को हम समज नही पाते उसेभूल जाना ही अछा होता है वरना परेशानी बढ़ते बढ़ते इतनी बढ़ जाती है की पता ही नही चलता चलना शुरू कहा से किया था|  आज खुशी की कीमत इतनी जादा बढ़ गई है की उसे ढूंड ने के लिए हमे बाहर अलग अलग जगहो पेर जाना पड़ता है| यहा वक़्त ही जैसे नही है किसी के पास हर कोई अपनी मंज़िल की और दौड़ रहा है और घर आते ही घर के कामो मैं व्यस्त हो जाता है| दोस्त और सगे संबंधी बस अब नाम के लिए ही रहे गये है सच कहे तो यारो घर के सदस्यो को मिले ही हफ़्ता हो जाता है| पापा मम्मी सिस्टर भाई ये सब तो जैसे टीवी  सीरियल जैसे होगये  है| हफ्ते मैं एक दिन मिलेंगे वो भी हाफ़ अन अवर| अपनी दुनिया मैं मस्त रहेना अछा है पेर कब तक? वीक एंड जैसे की आराम करने मैं ही गुजर जाता है अपनेपन का आहेसस होते होते सामने वाला कही दूर निकल जाता है|
वक़्त कभी किसी के लिए नही रुकता है हमे जितनी जिंदगी मिली है उतने मैं खुश होकर गुज़ारा करना सीखना होगा | बचपन मैं मैने एक सीरियल देखी थी जिसका सॉन्ग आज भी मूज़े प्रेरणा देता है |

आँखो मैं रोक ले तू ये आँसू ओ का तूफ़ा
लेती है जिंदगानी हर कदम पे एक इम्तहा |

और एक गजल थी " मंज़िल के बदले पाउँगा कुछ यादे और कुछ आँसू
मुजको ये मालूम है लेकिन साथ मेरे कुछ दूर तो चल"    

लोग जब जहा मिलते हस ते खेलते अपना समय उनके साथ बीताओ क्या पता कल हम होना हो||
बस सिर्फ़ यादे रहे जाएँगी दिलो मैं एक तेरे आने से पहेले और एक तेरे जाने के बाद...............

1 comments:

जिगर साब,
इतना अच्छा लिखते हो, जरा अपनी जिंदगी मे भि इस्तेमाल किया करो. हम दोस्तोंके लिये कभी समय तो निकाला करो. क्या पता ये शाम जिंदगी मे फिर वापस आयेगी कब आयेगी?

Post तो अच्छी हुइ है, जरा ग्रामर ठिक करना.

happy writing....

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